जब हम इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट, भारत की राष्ट्रीय मौसम‑संस्था, जो दैनिक, साप्ताहिक और दीर्घकालिक मौसम‑सूचना, चेतावनियाँ और वैज्ञानिक अनुसंधान प्रदान करती है को देखते हैं, तो समझना जरूरी है कि इसका काम सिर्फ तापमान बताने तक सीमित नहीं है। विभाग वायुप्रवण मॉडल, जटिल कंप्यूटेशनल प्रणाली जो हवा, दबाव, आर्द्रता आदि को सिमुलेट करती है पर भारी निर्भर करता है, साथ ही जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्तर पर तापमान और मौसम पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव के प्रभाव को निरंतर मॉनिटर करता है। इन दो बड़े घटकों के अलावा, विभाग सतत मौसम पूर्वानुमान, रियल‑टाइम डेटा से 0‑3 घंटे के छोटे‑समय के सटीक पूर्वानुमान तथा कृषि मौसम सेवा, किसानों को फसल‑उपज को अनुकूल बनाने के लिये विस्तृत मौसम‑सूचना भी प्रदान करता है। इस प्रकार, भारत के हर कोने में रहने वाले लोगों को दिशा‑निर्देश, चेतावनी और योजना बनाने के लिये वास्तविक‑समय डेटा मिलना IMD की प्राथमिकता है।
इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने पिछले दो दशकों में कई तकनीकी बदलाव अपनाए हैं। पहले प्रमुख रूप से सतही स्टेशन और मानक रडार पर निर्भर था, लेकिन अब सैटेलाइट‑आधारित रिमोट‑सेंसिंग, हाई‑रिज़ॉल्यूशन रडार, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता‑संचालित एनालिटिक्स को मिलाकर पूर्वानुमान की सटीकता बढ़ी है। उदाहरण के तौर पर, वायुप्रवण मॉडल को नई डेटा‑इन्गेस्टेशन तकनीक से सपोर्ट करने से बारिश की तीव्रता की भविष्यवाणी में 15 % तक सुधार देखा गया। जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में मौसमी पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे बाढ़, सूखा और गर्मी की लहरें अधिक तीव्र हो गई हैं; इस स्थिति में सतत मौसम पूर्वानुमान तुरंत चेतावनियाँ जारी करने में मदद करता है। कृषि मौसम सेवा ने विशेष रूप से उत्तर भारत के किसान वर्ग को सूखे‑प्रूफ फसल‑सिफ़ारिशे दी हैं, जिससे फसल‑उपज में औसतन 8 % की बढ़ोतरी हुई। इन सबका मूल सिद्धान्त यही है कि सटीक डेटा, तेज़ प्रसंस्करण और स्थानीय जरूरतों के अनुकूल जानकारी मिलना चाहिए।
इन कार्यों के पीछे कई संस्थागत सहयोग भी मौजूद है। राष्ट्रीय क्षमता‑निर्माण केन्द्र (NCMRWF) के साथ मिलकर अत्याधुनिक सुपर‑कम्प्यूटर चलाते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक परिदृश्य तैयार करता है। राज्य तथा जिला स्तर की मौसम विभागियों को रीयल‑टाइम डेटा साझा करने के लिये डिजिटल मंच विकसित किया गया है, जिससे न केवल आम जनता बल्कि एयरलाइन, शिपिंग, ऊर्जा और पर्यटन उद्योगों को भी लाभ होता है। इस तरह, एक केंद्रीय एजेंसी से शुरू होकर विभिन्न सेक्टर में बिखरते हुए जानकारी का सशक्त नेटवर्क बनता है, जो सभी को एक ही विश्वसनीय स्रोत से जोड़ता है।
इस पेज पर आप देखेंगे कि कौन‑कौन से विषय इस व्यापक इकोसिस्टम के अंतर्गत आते हैं। नीचे मिलने वाली लेख‑समीक्षाओं में वायुप्रवण मॉडल की तकनीकी गहराई, जलवायु परिवर्तन के भारत‑विशिष्ट प्रभाव, सतत मौसम पूर्वानुमान के व्यावहारिक उपयोग, और कृषि मौसम सेवा की सफलता‑कथाएँ शामिल हैं। चाहे आप आम पाठक हों, छात्र हों या व्यवसायी, इन जानकारियों से आपको मौसम‑डेटा को सही ढंग से पढ़ना और उसका बेहतर प्रयोग करना आसान होगा। आगे की सामग्री आपको विस्तृत समझ, नवीनतम अपडेट और उपयोगी टिप्स देगी, जिससे आप हर मौसम में सावधान और तैयार रह सकेंगे।
18 सितंबर 2025 को दिल्ली‑NCR में IMD के अलर्ट के बाद हल्की‑बारिश हुई, तापमान में गिरावट और तेज़ आर्द्रता के साथ, उत्तर प्रदेश‑बिहार में भी समान मौसम की चेतावनी जारी।
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