आप यहाँ ‘विचार करना’ टैग के तहत कई अलग‑अलग विषयों के लेख पाएंगे। हर लेख में लेखक का अपना नजरिया है – चाहे वो क्रिकेट रैंकिंग की चर्चा हो या विदेश में रहना क्यों नहीं सोचा जाता। इस पेज को खोलते ही आप जल्दी से समझ सकते हैं कि किस विषय पर कौन‑सी राय मिल रही है और किस लेख को पढ़ना आपका समय बचाएगा।
1. ICC ODI Rankings – नवीनतम रैंकिंग में भारत नंबर‑१, पाकिस्तान नीचे गिरा, दक्षिण अफ्रीका ऊपर आया। अगर आप क्रिकेट के शौकीन हैं तो इस लेख में अंक‑गणना और टीम की स्थिति का आसान विश्लेषण मिलेगा।
2. एंटी‑मोदी चैनल – भारत में कौन‑से टेलीविजन चैनल अक्सर मोदी के खिलाफ होते हैं? इस लेख में लेखक ने निजी अनुभव और आम धारणा को मिलाकर एक ताज़ा दृष्टिकोण दिया है।
3. लाइफ कोच बनाम काउंसलर – दोनों प्रोफेशन में क्या अंतर है, कब किसकी जरूरत है, ये सवाल अक्सर उठते हैं। यहाँ आप दोनो के काम‑काज को आसानी से समझ सकते हैं।
4. ऑस्ट्रेलिया vs भारत – रहने के लिए बेहतर जगह? शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी, मौसम – सभी पहलुओं पर तुलनात्मक विश्लेषण मिल रहा है। अपने अगले कदम के लिए यह मददगार हो सकता है।
5. विदेशियों का भारत को न चुनना – संस्कृति, भाषा, सामाजिक‑आर्थिक कारणों से क्यों कई विदेशियों को भारत में रहने का विचार नहीं आता, इस पर लेखक ने स्पष्ट कारण दिये हैं।
हर लेख की छोटी सी description और keywords नीचे दिखती हैं। यदि आप किसी खास विषय में गहराई से जाना चाहते हैं, तो शीर्षक पर क्लिक करके पूरा लेख पढ़ें। आप अपने विचार भी कमेंट सेक्शन में जोड़ सकते हैं – यही तो ‘विचार करना’ का असली मकसद है, दूसरों के साथ मिलकर नई समझ बनाना।
इस टैग के तहत बीती हुई खबरें, लाइफस्टाइल टिप्स, खेल‑समाचार और सामाजिक मुद्दे सभी एक ही जगह पर मिलते हैं। इसलिए जब भी आपके दिमाग में कोई सवाल या क्यूरियोसिटी हो, पहले इस पेज को देखें, शायद वही जवाब यहाँ हो।
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तो देर किस बात की? नीचे दी गई सूची में से अपना मनपसंद लेख चुनें और शुरू करें अपनी सोच को नई ऊँचाई पर ले जाना।
अरे भाई, भारत में रहने का अपना ही मजा है, कहीं और रहने का सोचना भी नहीं चाहिए। यहाँ की चाट, गोलगप्पे, ढाबे की चाय, कहीं और नहीं मिलेंगी, बुरा ना मानना दोस्तों! फिर यहाँ की त्योहारों की बात ही कुछ और है, दिवाली से होली, ईद से नवरात्रि, यहाँ हर दिन त्योहार ही त्योहार है। और अगर भाषा की बात करें तो हर 50 किलोमीटर पर नई भाषा, नया संस्कृति - ऐसी विविधता और कहाँ मिलेगी? हाँ, विदेशों में जाकर नयी चीजें सीखने का और अनुभव करने का अपना ही थ्रिल होता है, लेकिन दोस्तों, 'घर' की बात ही कुछ और होती है। तो क्यों न भारत जैसा देश छोड़कर कहीं और जाएं?
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