रैंकिंग का नया गणित: कौन ऊपर, कौन नीचे
अंक तालिका का चेहरा बदल गया है। 2 सितंबर 2025 को जारी ICC ODI Rankings ने साफ कर दिया कि वनडे में ताकत का केंद्र फिर खिसक रहा है—भारत नंबर-1 पर टिके हैं, पर पाकिस्तान की रफ्तार धीमी पड़ी है और दक्षिण अफ्रीका ने कदम ऊपर बढ़ा दिए हैं। इंग्लैंड की समस्या बनी हुई है; 2019 की शिखर टीम अब तालिका के निचले आधे हिस्से में जूझ रही है।
भारत 124 रेटिंग अंकों और 36 वेटेड मैचों के साथ शीर्ष पर सुरक्षित दिख रहा है। स्क्वॉड की गहराई, तेज गेंदबाजी के विकल्प और मध्य ओवरों में नियंत्रण—इन तीनों ने भारत की बढ़त को स्थिर रखा है। न्यूज़ीलैंड 38 मैचों से 109 अंक लेकर दूसरे पर है; कंडीशंस कोई भी हों, उनका साधारण पर भरोसेमंद टेम्पलेट काम कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया 35 मैचों से 106 अंक लेकर तीसरे पर टिके हैं, रोटेशन के बावजूद उनकी जीत प्रतिशत ऊंचा बना हुआ है।
चौथे नंबर पर 41 मैचों से 103 अंकों के साथ श्रीलंका है। यह सिर्फ रैंकिंग नहीं, उनके पिछले दो वर्षों के अनुशासन की रसीद है—पावरप्ले में विकेट, स्पिन से नियंत्रण और निचले क्रम के रन।
पाकिस्तान के लिए तस्वीर उलझी है। 35 मैचों से 100 अंक उन्हें कागज पर ऊंचा रखते हैं, लेकिन दशमलव के स्तर पर बराबरी के बावजूद बढ़त ठोस नहीं लगती। लगातार एक जैसा इलेवन नहीं मिलना, बीच के ओवरों में रन-रेट संभालना और डेथ ओवर्स की गेंदबाजी—ये तीन बिंदु बार-बार कमजोर कड़ी बनते दिखे। फिलहाल पाकिस्तान पांचवें पर है, दक्षिण अफ्रीका उससे ठीक पीछे छठे पर।
दक्षिण अफ्रीका की रिकवरी दिलचस्प है। करीब 33–35 मैचों में लगभग 99–100 अंक उन्हें ऊपर खींच रहे हैं। उनकी प्रगति का सूत्र साफ है—पावर हिटिंग से बाउंड्री दर बढ़ाना, तेज गेंदबाजी से नई गेंद पर बढ़त, और फील्डिंग में कम ड्रॉप। यह संयोजन पिछले एक साल में कई सीरीज में दिखा और अब रैंकिंग में अंक बनकर सामने आया।
इंग्लैंड 2019 के बाद पहली बार इतने लंबे समय तक नीचे अटका है। करीब 35–37 मैचों से 87–88 अंक उनका मौजूदा हाल बयां करते हैं। वजहें साफ हैं—ओडीआई को कम प्राथमिकता, बदले हुए स्क्वॉड में रोल स्पष्ट न होना, और एशियाई कंडीशंस में स्पिन के खिलाफ असहजता। पावरप्ले में विकेट गंवाने और डेथ ओवर्स में लीक होते रन ने मैच पलटने का मौका भी कम दिया।
अफगानिस्तान ने 25 मैचों से 91 अंक के साथ सातवां स्थान थामा है। कम मैच खेलने का मतलब उतार-चढ़ाव ज्यादा, लेकिन उनकी स्पिन कोर और पीछा करते हुए संयम ने उन्हें बड़े विपक्ष के खिलाफ भी मुकाबले में रखा है। सही विपक्ष और समय पर जीतें मिलें, तो उनकी छलांग तेज दिख सकती है।
वेस्टइंडीज 35 मैचों से 80 अंक लेकर नौवें पर है। प्रतिभा बहुत है, लेकिन लंबे स्पेल में मैच क्लोज करने की कला अभी अनियमित है। बांग्लादेश 32 मैचों से 77 अंक के साथ दसवें पर है—घर में ठोस, बाहर लड़खड़ाता प्रदर्शन उनके ग्राफ की स्थिर थीम बन गया है।
निचली रैंकिंग में जिम्बाब्वे, आयरलैंड, स्कॉटलैंड और अन्य एसोसिएट टीमें हैं। सबसे नीचे यूएई है, जिसके पास सिर्फ 8 अंक हैं—यह गैप बताता है कि टॉप टीमों के खिलाफ खेलने का अवसर और मैच का वॉल्यूम रैंकिंग में कितना असर डालता है।
यह पूरी तालिका पिछले कुछ वर्षों के नतीजों का वेटेड औसत है—ताजा मैचों का वजन ज्यादा, पुराने का कम। इसी वजह से एक छोटी सीरीज भी अब अंक तालिका में जल्दी असर दिखा देती है। आईसीसी सुपर लीग के खत्म होने के बाद फ्यूचर टूर प्रोग्राम के असमान शेड्यूल ने यह अस्थिरता थोड़ी और बढ़ाई है; कुछ टीमों को टॉप विपक्ष के खिलाफ ज्यादा अवसर, तो कुछ को सीमित खिड़कियां मिल रही हैं।
- भारत: 124 अंक, 36 वेटेड मैच
- न्यूज़ीलैंड: 109 अंक, 38 मैच
- ऑस्ट्रेलिया: 106 अंक, 35 मैच
- श्रीलंका: 103 अंक, 41 मैच
- पाकिस्तान: 100 अंक, 35 मैच
- दक्षिण अफ्रीका: करीब 99–100 अंक, 33–35 मैच
- अफगानिस्तान: 91 अंक, 25 मैच
- इंग्लैंड: 87–88 अंक, 35–37 मैच
- वेस्टइंडीज: 80 अंक, 35 मैच
- बांग्लादेश: 77 अंक, 32 मैच
- निचले पायदान: जिम्बाब्वे, आयरलैंड, स्कॉटलैंड समेत एसोसिएट्स; यूएई 8 अंक पर
टीम दर टीम तस्वीर और आगे की राह
भारत के पास बैकअप की चौड़ाई है। सफेद गेंद में गेंदबाजी की विविधता और टॉप-5 की स्थिरता उन्हें मुश्किल कंडीशंस में भी नुकसान सीमित रखने देती है। उनके लिए चुनौती अब रोटेशन के बीच तालमेल बनाए रखने की होगी ताकि रैंकिंग और नतीजे एक साथ सुरक्षित रहें।
न्यूज़ीलैंड की ताकत सिस्टम है—स्पष्ट रोल, बहुमुखी ऑलराउंडर और कंडीशन-एडेप्टिव रणनीति। वे ग्राइंड करना जानते हैं और अक्सर 280 को 320 जैसा बना देते हैं। ऑस्ट्रेलिया का टेम्पो ऊंचा है; वे मिडल ओवर्स में खेल नहीं मरने देते।
श्रीलंका ने अनुशासन चुना है—नई गेंद से शुरुआती स्ट्राइक और स्पिनरों से खाई भरना। उनका अगला कदम डेथ ओवर्स की इकोनॉमी को नीचे रखना होगा, क्योंकि टॉप टीमों के खिलाफ वही अंतर बना देता है।
पाकिस्तान के लिए मध्य क्रम की स्थिरता और डेथ ओवर्स की योजना तय करना प्राथमिकता है। लगातार एक जैसा कॉम्बिनेशन और फिनिशिंग की स्पष्टता आई तो अंक तालिका में अंतर जल्दी मिट सकता है।
दक्षिण अफ्रीका के पास पावर है, पर टॉस और पिच पर कम निर्भर रणनीति उन्हें और ऊपर ले जाएगी। इंग्लैंड को रोल क्लैरिटी, स्पिन-विशेषज्ञ विकल्प और ओडीआई को कैलेंडर में प्राथमिकता—इन तीन कामों पर लौटना होगा।
अफगानिस्तान के लिए ज्यादा हाई-रैंक्ड विपक्ष के खिलाफ घरेलू और न्यूट्रल टूर क्रिटिकल होंगे। वेस्टइंडीज और बांग्लादेश, दोनों टीमों के लिए मैच क्लोजिंग और बाहर जीतने की कला ही रैंकिंग में असली जंप दिलाएगी।
कुल मिलाकर यह अपडेट बताता है कि वनडे का भूगोल बदल रहा है—पुरानी ताकतें एडेप्ट कर रही हैं, नई टीमें स्थिरता तलाश रही हैं। आने वाली द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में सही समय पर सही कॉम्बिनेशन लगाने वाली टीमें ही अगले अपडेट में बड़ा उछाल दिखाएंगी।
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