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*विवादों में घिरे सहायक नाजिर को जिला जज ने पद से हटाया,दी दूसरी जिम्मेदारी*
*कई वर्षों से मनचाही तैनाती लेकर करोड़ो की सम्पत्ति जुटाने का है आरोप*
*चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया समेत अन्य से हुई है शिकायत*
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(1)सुलतानपुर। न्यायिक अधिकारियों का करीबी बनकर करोड़ों की सम्पत्ति जुटाने के आरोप के चलते चर्चा में आये सहायक  नाजिर को पद से हटाकर दूसरे पद की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है। सहायक नाजिर के अलावा तीन अन्य न्यायिक कर्मियों के भी कार्य क्षेत्र मे फेरबदल हुआ है।जिला जज के यहां मामले से जुड़े जन सूचना अपील पर सुनवाई के लिए आगामी 29 अक्टूबर की तिथि तय की गई है।
         मालूम हो कि रजा मेमोरियल सोसाइटी के प्रबंधक अधिवक्ता बेलाल अहमद ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया व प्रशासनिक जज-हाईकोर्ट समेत अन्य को पत्र भेजकर जिला न्यायालय में तैनात न्यायिक कर्मी विजय गुप्ता के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। आरोप के मुताबिक न्यायिक अधिकारियों को मिलाकर विजय गुप्ता ने शुरू से ही मनचाही तैनाती ली और कई बड़े कामों में अपने पद का दुरुपयोग भी किया। विजय गुप्ता पर गलत ढंग से अपने व करीबियों के नाम करोड़ों की सम्पत्ति भी जुटाने का आरोप है। शिकायतकर्ता ने मामले में कई न्यायिक अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया है। मामले में हाईकोर्ट के निर्देशन में सीजेएम आशारानी सिंह ने शिकायतकर्ता बेलाल अहमद का बयान भी जरिए शपथ पत्र ले लिया है।मालूम हो कि बेलाल अहमद ने विजय गुप्ता की नियुक्ति से लेकर अब तक पदों पर हुई तैनाती के विषय मे बीते 27 अगस्त को जनसूचना मांगी थी, लेकिन निर्धारित समय सीमा बीत जाने के बावजूद जनसूचना उपलब्ध नही कराई गई।जनसूचना न मिलने पर बेलाल अहमद ने जिला जज के यहां अपील भी दाखिल की है,जिसमे सुनवाई के लिए आगमी 29 अक्टूबर की तिथि तय की गई है। वहीं विवादों में घिरे सहायक नाजिर विजय गुप्ता को जिला न्यायाधीश उमेश चंद्र शर्मा ने भी पद से हटाकर उन्हें अपर सिविल जज कक्ष संख्या- 27 पर मुंसरिम/रीडर पद की जिम्मेदारी सौंप दी है। विजय गुप्ता के कार्य क्षेत्र में फेरबदल से अन्य कर्मियों के भी पद में बदलाव हुआ है,जिसके क्रम में विजय गुप्ता के स्थान पर बद्रीनाथ यादव को सहायक नाजिर,लालता प्रसाद मौर्य को एसीजेएम प्रथम कोर्ट के अहलमद एवं सिविल जज उत्तरी के मुंसरिम एसपी सिंह को लालता प्रसाद के प्रभार की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वहीं अपने खिलाफ लगे आरोपों को निराधार बताते हुए विजय गुप्ता ने आैपचारिक जांच के दौरान जिला जज से स्वयं को सहायक नाजिर पद से हटाकर अन्य पद की जिम्मेदारी सौंपने की मांग करने की बात कही है।ऐसे में विजय गुप्ता पर लगे आरोप अत्यंत गम्भीर है और इन पर लगा आरोप सही है या गलत है ,यह तो जांच का विषय है ,जांच में विजय गुप्ता व अन्य अधिकारियों की भूमिका स्पष्ट हो ही जाएगी। लेकिन हो चाहे जो पर मौजूदा हालात को देखते हुए उनकी समस्याएं दिनोदिन बढ़ती नजर आ रही है।

*बच्चों को शिक्षा एवं खाद्य सामाग्री वितरित कर जीआईआईटी के प्रबंधक ने मनाया जन्मदिन*
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(2)सुलतानपुर । जीआईआईटी समाजसेवी संस्था के प्रबंधक ने प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर के बच्चों को शिक्षा एवं खाद्य सामाग्री वितरित कर अपना जन्म दिन मनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस काम से बच्चों के चेहरे खिल जाय,उससे अच्छा जन्म दिन कहां मनाया जा सकता है। 
             प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर में पहुंचकर जीआईआईटी समाजसेवी संस्था के प्रबंधक सुदीप श्रीवास्तव ने अपने जन्म दिन के अवसर पर बच्चों को शिक्षा एवं खाद्य सामाग्री वितरित कर अपना अनोखा बर्थ-डे मनाया। शिक्षा एवं खाद्य सामाग्री पाकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। उन्होंने कहा कि बच्चों की खुशी देखकर जन्मदिन के अवसर पर जो आनंद प्राप्त हुआ है,वह आनंद आैर तरीके से जन्म दिन मनाने पर मिलना सम्भव नही है। इस अवसर संस्था के संरक्षक एवं रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी उमाशंकर श्रीवास्तव ने भी बच्चों को शिक्षा एवं खाद्य सामाग्री वितरित की। उन्होंने विद्यालय के हर संभव मदद के लिए तैयार रहने की बात कही। इस दौरान संस्था के निर्देशक संदीप श्रीवास्तव,ओम प्रकाश पाल,मंसूर अहमद, मो. रमजान,आलोक,भाष्कर मिश्रा समेत अन्य मौजूद रहे। 
[25/10, 2:26 PM] ‪+91 94510 66538‬:  
*विवेचक की अनुभवहीनता से लूट आरोपी का नहीं मिला पुलिस रिमांड,अर्जी खारिज*
*पहले ही बरामदगी की धारा बढ़ाने के चलते सीजेएम ने मांग को माना निराधार* 
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(3)सुलतानपुर। तमंचा दिखाकर सेल्समैन से हजारों की लूट करने के मामले में आरोपी को पुलिस कस्टडी रिमांड पर देने की मांग संबंधी अर्जी सीजेएम आशारानी सिंह ने निराधार मानते हुए खारिज कर दिया है। पुलिस रिमांड न मिलने के पीछे विवेचक रमाकांत प्रसाद की लापरवाही मानी जा रही है। 
             मामला जगदीशपुर थाना क्षेत्र के वारिसगंज इलाके से जुड़ा है। जहां पर बीते 23 अगस्त को हुई घटना का जिक्र करते हुए आशीर्वाद ट्रेडर्स ठाकुरगंज-बाजारशुुकुल के सेल्समैन विकास यादव ने अज्ञात बाइकसवार के विरुद्ध अपनी गाड़ी को ओवरटेक कर तमंचा दिखाकर 60 हजार रूपये लूट लेने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया। तफ्तीश के दौरान आरोपी संदीप पाल निवासी पूरे रानी कचनावां थाना जगदीशपुर का नाम प्रकाश में आया। जिसे पुलिस कस्टडी रिमांड पर देने की मांग को लेकर विवेचक रमाकांत प्रसाद की तरफ से सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी गयी। विवेचक ने अपनी अर्जी में संदीप के कब्जे से लूटे गये रूपयों में से 12 हजार रूपये उसके घर से ही बरामद कराने की बात कही,जबकि अपनी केस डायरी में विवेचक के जरिये पहले ही आरोपी के खिलाफ 392 के अलावा बगैर बरामदगी के ही 411 भादवि की बढ़ोत्तरी कर रिमांड बनवाया जा चुका है। इसी आधार पर विवेचक के जरिए की गयी मांग को न्यायोचित न मानते हुए सीजेएम आशारानी सिंह ने पुलिस रिमांड संबंधी अर्जी खारिज कर दी। रिमांड अर्जी खारिज होने के पीछे विवेचक की अनुभवहीनता मानी जा रही है। 

*एसडीएम व थानाध्यक्ष समेत 11 के खिलाफ पड़ी अर्जी को सेशन कोर्ट ने किया स्वीकार*
*सीजेएम कोर्ट के आदेश को ठहराया अनुचित,बढ़ सकती है सभी की मुश्किलें*
*कोर्ट ने कहा ,पदीय कर्तव्यों के बाहर जाने पर लोकसेवक के विरुद्ध बगैर शासन की मंजूरी के भी लिया जा सकता है संज्ञान*
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(4)सुलतानपुर। जमीन पर जबरन कब्जा दिलाने के मामले में तात्कालीन एसडीएम समेत 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराने को लेकर पड़ी अर्जी को तत्कालीन सीजेएम ने लोक सेवक के विरुद्ध शासन की मंजूरी के बगैर संज्ञान न लेने का तथ्य रखते हुए खारिज कर दिया था। इस आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती मिली। एडीजे षष्ठम अनिल कुमार यादव ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को जायज न बताते हुए मामले में निर्धारित विंदुओं पर विचार करने का निर्देश दिया है। अदालत के इस आदेश से एसडीएम समेत अन्य की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है। 
               मामला संग्रामपुर थाना क्षेत्र के स्थानीय इलाके से जुड़ा हुआ है। जहां पर जमीनी विवाद को लेकर हुई घटना का जिक्र करते हुए अभियोगी विनोद कुमार मिश्र ने सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी थी। जिसमें आरोप है कि उसके पट्टीदार छबि श्याम मिश्रा व उसके पिता कलाधर मिश्रा के बीच न्यायालय में जमीनी विवाद चल रहा था,जिसमें दोनो पक्ष सुलह भी हो गये। इसी आधार पर वर्ष 2009 में ही मामले में कोर्ट का निर्णय आ गया। बावजूद इसके छबिराम व सेना से रिटायर्ड उनके लड़के रमेशचंद्र ने अपने साथियों के साथ आकर तीन अगस्त 2016 को अभियोगी की दीवार गिराकर जबरन कब्जा करने का प्रयास किया। मामले में तात्कालीन एसडीएम अमेठी अशोक कुमार कनौजिया ,तहसीलदार रामकुमार,नायब तहसीलदार विकास दीप तिवारी,तात्कालीन थानाध्यक्ष प्रहलाद सिंह,विशाल,महेश,बृजेश,गोलू की भी संलिप्तता बतायी। तात्कालीन सीजेएम विजय कुमार आजाद ने एसडीएम समेत चार अधिकारियों को लोक सेवक बताते हुए उनके विरुद्ध बगैर शासन की मंजूरी के संज्ञान न ले पाने का तथ्य अपने आदेश में रखते हुए अभियोगी की अर्जी को खारिज कर दिया। तात्कालीन सीजेएम ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्था का भी हवाला दिया था। अधीनस्थ न्यायालय के इस आदेश को उचित न बताते हुए अभियोगी विनोद कुमार मिश्रा ने सत्र न्यायालय में निगरानी दायर कर चुनौती दी थी। जिस पर सुनवाई कर रहे अपर सत्र न्यायाधीश षष्ठम अनिल कुमार यादव ने अवर न्यायालय के आदेश को विधि संगत न मानते हुए अभियोगी की निगरानी अर्जी को स्वीकार कर लिया है। सत्र न्यायालय ने कहा है कि अपने पदीय कर्तव्यों से जुड़े कार्यों के दौरान ही लोक सेवकों को 197 दप्रसं का संरक्षण मिलेगा। इसके इतर जाकर किसी भी कार्य को करने पर लोक सेवकों के विरुद्ध भी बगैर शासन की मंजूरी के संज्ञान लिया जा सकता है। अदालत ने तात्कालीन सीजेएम के जरिए उनके आदेश मे दर्शायी गयी सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्था को भी सही ढंग से वर्णित न करने की टिप्पणी की है। इसी आधार पर न्यायाधीश अनिल कुमार यादव ने अवर न्यायालय के आदेश को जायज न मानते हुए अभियोगी की निगरानी स्वीकार कर ली। अदालत के इस आदेश से तात्कालीन एसडीएम,थानाध्यक्ष समेत अन्य अधिकारियों की समस्याएं बढ़ना तय मानी जा रही है।

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