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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की स्वास्य सेवा के बेहतर दावों को कटघरे में खड़ा करते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि उ.प्र. की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा गयी हैं।

आये दिन अस्पतालों में जिस प्रकार समुचित इलाज न मिल पाने एवं अस्पतालों में बेड की अनुपलब्धता के चलते जमीनों पर मरीजों के इलाज किये जाने के समाचार अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं किन्तु प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा का कोरा ढिंढोरा पीटती रहती है।

मीडिया से हुई वार्ता के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि अभी कुछ दिन पूर्व औरैया में एक प्रसव पीड़ित महिला एम्बुलेन्स न मिल पाने के कारण आटो सहित जिला अस्पताल के वार्ड में पहुंची।

दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो एम्बुलेन्स सेवा पूर्ववर्ती यूपीए की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के तहत शुरू की थी उसे भाजपा सरकार ने निजी हाथों को सौंप दिया है जिसके कारण जरूरतमंदों को न तो एम्बुलेंस मिल रही है और न ही समुचित इलाज मिल पा रहा है इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि प्रदेश में 18 हजार से अधिक एमबीबीएस चिकित्सकों की आवश्यकता है किन्तु वर्तमान समय में 50 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त हैं।

वर्तमान भाजपा सरकार ने उ0प्र0 के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं समुचित रूप से उपलब्ध कराने का वादा किया था लेकिन 19 मार्च 2017 से अब तक चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों की एक भी भर्ती नहीं की गयी यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश पीएचसी एवं सीएचसी व स्वास्थ्य उपकेन्द्र या तो बन्द हैं या उनमें चिकित्सकों, विशेषज्ञों एवं नर्स सहित अन्य स्टाफ की भारी कमी है जिसकी वजह से बीमार/पीड़ित मरीजों को मजबूर होकर शहरों की ओर भागना पड़ता है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अभी कुछ ही समय पूर्व प्रदेश के कई जनपदों में सैंकड़ों से ज्यादा बच्चों और मरीजों को समुचित इलाज न मिल पाने की वजह से असमय मौतें हो गयीं।

विगत दिनों बहराइच, बरेली, बदायूं, सीतापुर, बाराबंकी में सैंकड़ों बच्चे अज्ञात संक्रमण की वजह से काल के गाल में समां गये और स्वास्थ्य महकमा सोता रहा।

जनपद हरदोई के सण्डीला में सौ से ज्यादा बच्चे मलेरिया बुखार की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे लेकिन प्रशासन दवाओं के नाम पर सिर्फ खानापूति कर रहा है और कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। डेंगू की महामारी राजधानी सहित पूरे प्रदेश में अपना पांव पसार रहा है।

राजधानी लखनऊ में चाहे सिविल अस्पताल हो या बलरामपुर, लोकबन्धु अस्पताल हो, मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है, रोजाना चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ के साथ तीमारदारों के साथ होने वाले झगड़े आम हो गये हैं।

एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवाओं के पटरी पर होने की बात करते हैं वहीं यह घटनाएं भारतीय जनता पार्टी सरकार के दावों की पोल खोल रहे हैं और सरकार सिर्फ मृतकों के आंकड़े छिपाने में जुटी हुई है।

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